अखिल भारतीय साहित्य परिषद्
राम विवाह के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के, नगर शाखा - बहराइच के तत्वावधान में नगर इकाई की मासिक काब्य गोष्ठी का आयोजन शिव कुमार सिंह रैकवार की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। श्री राधा कृष्ण पाठक द्वारा की गयी माँ भारती की वंदना के साथ यह कार्यक्रम अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की नगर इकाई के अध्यक्ष सुभाषित श्रीवास्तव 'अकिंचन के निवास पर संपन्न हुआ। वे जनपद के जाने-माने गजलकार हैं, उनकी गजलों ने समा बाँध दिया। जनपद के प्रसिद्द कवि भाइयों ने भी मनमोहक कवितायेँ पढ़ीं। परिषद् के प्रान्तीय उपाध्यक्ष श्री गुलाब चन्द्र जायसवाल ने देश-प्रेम की कविता पढ़ी : "बचपन से भारत माता हित बलिदान भाव जगाये थे, आज़ाद हिन्द सेना ने गोरों के छक्के छुडवाये थे। यदि वे होते तो देश प्रेम का जज्बा यहाँ न कम होता।" परिषद् के जिला महामंत्री, रमेश चन्द्र तिवारी ने अपनी लोकप्रिय पुस्तक अनुश्री की राष्ट्र-खंड की एक कविता पढ़ी : "सनातन के ह्रदय में ज्ञान का आधार है मंदिर, हमारी सभ्यता का मूल पालनहार है मंदिर । मनोहर रम्य मंदिर श्रोत है आनंद का मंदिर, हमारे प्राण प्यारे राम के अवतार का मंदिर !" डॉ रंजन विशद ने प्रस्तुत किया : "दंश विरह का कभी नहीं मिट पायेगा, चट्टानी विश्वास नहीं हिल पायेगा। कान्हा सा व्योहार भले ही मिल जाए, राधा जैसा प्यार नहीं मिल पायेगा।" परिषद् के मीडिया प्रभारी पुण्डरीक पांडेय ने राष्ट्र प्रेम की कविता पढ़ी : "गंगा जमुना गा रही देश-प्रेम का गान, हिमगिरि से आकर बसा भारत का सम्मान।" वीरेश पांडेय ने रचना पढ़ी : "रहा अकेला कब से अम्बर, रही अकेली धरती है। फिर जाने क्यों सारी दुनिया खालीपन से डरती है।" अवधी के प्रसिद्द कवि श्री देशराज सिंह ने कविता पढ़ी : “त्याग और बलिदान मांगती है माटी, खोया हिन्दुस्तान मांगती है मांटी ।“ विमलेश 'विमल' ने पंक्तियाँ प्रस्तुत करते कहा : "है तेरे पत्थर का मुझको डर नहीं, क्योंकि शीशे का हमारा घर नहीं।" अनुष्का 'अनघ' ने पढ़ा : “टूटी वीणा के तारों ने पीड़ा सही, औ सुरों को मिले भी ज़माना हुआ ।" डा. अशोक गुलशन, अयोध्या प्रसाद शर्मा 'नवीन', देवब्रत त्रिपाठी, अर्पण शुक्ल, बैजनाथ सिंह, धनञ्जय कुमार शर्मा आदि ने भी अपनी ग़ज़ल, गीत, भक्ति भाव के पद से सबको भाव विभोर किया।
रमेश चन्द्र तिवारी
जिला महामंत्री, अखिल भारतीय साहित्य परिषद्
Comments
Post a Comment