कल सब कुछ अच्छा था आज वैसा नहीं है
ये भ्रम है ऐसा नहीं है
कल भी हम असंतुष्ट थे
दुनिया से रुष्ट थे
उम्र के साथ निगाहें बदलीं, अंतर उभरे
कल के बुरे आज अच्छे लगे
दुनिया से जितने अधिक परिचित हुए
खिले हुए फूल मुरझाए से दिखने लगे
दुनिया तो वही है
सिर्फ़ चीज़ें इधर की उधर हुई हैं