Tuesday 3 October 2017

हे भोले !

हे भोले !
आप संपूर्ण जगत के जीव हो, जड़ हो
आप सबके जन्म हो, जीवन हो, और मृत्यु हो |
हे महादेव !
आप समुद्र के अपार जल व उसके हिमगिरि हो
आप उसकी लहरें हो और तूफान भी हो |
हे त्रिपुरारी !
आप पर्वत शृंखला की विशालता हो
आप वायु हो, अग्नि हो, और वनस्पति हो |
हे महाकाल !
आप सूर्य, चंद्रमा, ग्रह, नक्षत्र, आकाश गंगा हो
सबकी गति हो, उनके प्रकाश हो |
हे देवादिदेव !
आप ब्रह्मांडो के ब्रह्माण्ड, अनंत हो
आप सम्पूर्ण क्रिया हो, द्रव्य और उर्जा हो |
हे आशुतोष !
आप शून्य हो, आप ही संपूर्ण चेतना व अस्तित्व हो
संपूर्ण इकाइयाँ भोक्ता किन्तु भर्ता आप हो |
हे अवढर दानी !
आपके लिए कुछ असंभव नहीं, मेरे लिए कुछ
संभव नहीं - मेरा जीवन प्रकाशित और प्रसन्न कर दो |
- रमेश तिवारी