Thursday 21 June 2018

गृहशिक्षा

जब हमारा बच्चा कहता है "वो माई गाड!" तब हमें बहुत अच्छा लगता है, जब 'उनहत्तर' कहने पर वह हमारा मुँह ताकने लगता है और 'सिक्स्टी नाइन' कहने पर गिनती समझता है तब हमें और मज़ा आता है | सेंट एग्नीस विद्याललय में पढ़कर हमारे बच्चे अपनी सभ्यता लगभग भूल रहे हैं | उन्हें न अपने कुल देवता का पता है न गोत्र न वंशावली का | उन्हें न धर्म से मतलब, न ईश्वर से मतलब, न सामाजिक व पारिवारिक दायित्व से मतलब | अनुशासन को वे पारम्परिक रूढ़िवादिता मानते हैं और वेशर्मी की हद तक पहुचते हैं | अभी तक तो चलेगा लेकिन वही बच्चे जिस दिन हमें बृद्धा आश्रम में डालकर पलट कर नहीं देखेंगे उस दिन याद आएगा कि सेंट पाल विद्यालय ने क्या किया | अरे, कुत्ता, बिल्ली, चिड़िया अपने बच्चों को अपनी परम्परा की शिक्षा देते हैं, शिकार, सुरक्षा आदि करने में निपुण बनाकर ही स्वतंत्र करते हैं | हमारे आप के पास तमाम निरर्थक चीज़ों के लिए तो समय है लेकिन बच्चों के लिए नहीं है कि हम सायं अपनी संस्कृति से जुड़ी कुछ कहानियाँ उन्हें सुनावें, नैतिक शिक्षा दें, व परिवार, समाज, राष्ट्र के प्रति उनके दायित्व का उन्हें ज्ञान दें | हाँ, आवश्यकता से अधिक नैतिकता में भी दोष है - उसे राजनीतिक, कूटनीतिक और व्यावसायिक चतुराई का भी उतना ही ज्ञान होना चाहिए | कुछ परिवार तो राजनीति से प्रेरित होकर बच्चों में किसी विशेष समुदाय के प्रति घृणा का पाठ पढ़ाने लगते हैं और अपने बच्चे को सदा के लिए या तो हिंसक बना देते हैं या नकारात्मक सोच वाला तिरस्कार करने योग्य पुरुष | और बाद में उनकी बर्वादी पर रोते हैं | बच्चे को एक संतुलित व्यक्ति बनाने में माँ की बहुत बड़ी भूमिका होती है | माता जीजाबाई ने भी तो एक पुत्र को गढ़कर तैयार किया था | माँ यशोदा ने बालक कृष्ण को ५ वर्षों तक स्तनपान कराया था, सुरभि गाय का मक्खन खिलाया था और ऐसी शिक्षा दी थी कि वही बालक संसार से अधर्म को नष्ट करके धर्म की स्थापना कर दी | अब माताएँ अपने बच्चो को बोतल पिलाती हैं | वही बच्चे कोल्ड ड्रिंक की बोतल इस्टाइल से पीते हैं, फिर शराब की बोतल उन्हें झुमाती है और गुलुकोज की बोतल से उनका अन्त हो जाता है |

Monday 18 June 2018

धार्मिक भीड़

जब कोई समुदाय अकेले ही एक विशाल क्षेत्र में फैल कर भीड़ बन जाता है उसका सामाजिक और मानसिक विकास ठहर जाता है | एक समय सम्पूर्ण हिन्दुस्तान शुद्ध हिन्दू देश था | यहाँ के राजा जनता को निष्ठावान बनाने के उद्देश्य से उन्हें धार्मिक और नैतिक शिक्षा तो देते थे किन्तु उनमें राजनीतिक विकास नहीं होने दिया; परिणाम स्वरूप, सारा हिन्दू समाज भीड़ बन गया और देश मुगलों के हाथ गुलाम हो गया | आज हिन्दुस्तान में ही नहीं सारे संसार में मुस्लिम समुदाय अपनी धार्मिक कट्टरता से प्रभावित होकर जहाँ कहीं भी है अपने विस्तार के लिए प्रयत्नशील है जिसकी वजह से वह हर जगह एक भीड़ बन गया है | कश्मीर एक शुद्ध मुस्लिम क्षेत्र बन गया देखो वहाँ क्या होने लग गया | भीड़ कभी शासन नहीं करती बल्कि कुछ चतुर लोगों के काम आती है | ब्रिटिश ने अपनी संख्या से नहीं बल्कि अपनी चतुराई से सारे विश्व पर राज किया | जंगल में कुछ जानवरों के विशाल समूह होते हैं किन्तु वे कुछ चतुर जानवरों के भोजन होते हैं | इजरायल में यहूदियों की संख्या अधिक नहीं है फिर भी वे आस पास की भीड़ पर सदैव भारी पड़ते हैं | अमेरिका, फ्रांस, व ब्रिटन ऐसे देश हैं जो उच्च मेधा के लोगों को दुनिया भर में खोजते रहते हैं जिसकी वजह यह है कि ये सभी शक्तिशाली हैं | हिन्दुस्तान में यदि मुस्लिम में एकता अधिक है तो हिन्दू चतुर बहुत है | कांग्रेस सहित जितनी भी गठबंधन की पार्टियाँ हैं उनका इतिहास रहा है कि उन्हें भीड़ ने वोट किया है जिसकी वजह से वे जब भी सत्ता में आईं शिक्षा को नष्ट किया है | कुछ ऐसे भी देश हैं जिनका और कोई धर्म नहीं सिर्फ़ राष्ट्रीयता व अविष्कार ही धर्म है – ऐसे भी देश संपन्न व शक्तिशाली हैं | इसलिए यदि एक होना है तो धर्म जाति के नाम पर नहीं बल्कि राष्ट्रीयता के नाम पर होना चाहिए |

Sunday 17 June 2018

धारा 370

धारा 370 कश्मीरियो के लिए वरदान नहीं बल्कि अभिशाप है क्योंकि वहाँ देश के दूसरे स्थान का कोई भी व्यक्ति ज़मीन खरीद कर स्थाई निवासी नहीं बन सकता | परिणाम स्वरूप, कश्मीर वह तालाब बन गया है जिसमें न तो कहीं से पानी आ सकता है और न ही वहाँ का पानी बाहर जाना चाहता है | स्थिर पानी के इस तालाब पर अब सैवाल उग चुका है, पानी सड़ गया है और तालाब के अस्तित्व पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया है | यदि पर्यटक वहाँ जाना बन्द कर दें या भारत सरकार उन्हें मदद देना बन्द कर दे तो स्थिति यह है कि वहाँ के लोग भूखो मर सकते हैं | राजनीति के प्रभाव में वहाँ के लोग कितनी ग़लत फ़हमी में जी रहे हैं | वहाँ के उन्मादी बच्चों को देख कर ऐसा लगता है कि वे सभी अन्तर राष्ट्रीय राजनीति के शिकार हो चुके हैं और एक दिन सीरिया या इराक़ जैसी उनकी हालत होनी निश्चित है | वह स्थान एक दिन युद्ध क्षेत्र बन सकता है और नागरिकों की वह स्थिति हो सकती है जिसे उन्होने कभी सोचा न होगा | यदि धारा 370 हट जाय तो बाकी भारतीय वहाँ जाना रहना प्रारम्भ कर देंगे और व्यापार के सारे रास्ते खुल जाएँगे | तब फौज की भी वहाँ कोई ज़रूरत न होगी |

Saturday 16 June 2018

दलित साहित्य

मैं न तो आरक्षण का विरोधी हूँ और न बाबा साहब के विचारों का – मैं दलित साहित्य में लगातार भरती जा रही घृणा का विरोधी हूँ जिसकी वजह न तो बाबा साहब हैं और न ही उनके द्वारा बनाई गयी आरक्षण नीति | दलित साहित्य में घृणा और उसकी प्रतिक्रिया में सामान्य वर्ग की उनके प्रति घृणा का कारण यदि कोई है तो वह कांग्रेस की पार्टी-नीति है जिसने अब तक पुनरावृति के माध्यम केवल 4 प्रतिशत लोगों तक ही आरक्षण का लाभ पहुचने दिया है | यही 4 प्रतिशत लोग अपने को आराम की स्थिति में रखने के उद्देश्य से अपने भाइयो में सामान्य वर्ग के प्रति घृणा का भाव भरने लगे ताकि वे अपने अधिकार को सोच न सके और यह आवाज़ न उठाएँ की उन्हें शिक्षित किया जाय और जिनको एक बार आरक्षण मिल चुका है उन्हें पुनः उससे वंचित करके दूसरों को मौका दिया जाय | यही चार प्रतिशत आरक्षित धीरे-धीरे कांग्रेस के प्रचारक बन गये और पूरा हिन्दू समाज दो भागों में बँट गया | बाद में इसका लाभ उठा कर एक क्षेत्रीय दलित पार्टी भी अस्तित्व में आ गई | इसने भी बाबा साहब की पूरे दलित समाज को उपर उठाने के उद्देश्य को स्पष्ट नहीं किया बल्कि और भयानक घृणा की राजनीति करने लग गयी | आज शायद ही मनुस्मृति को कोई पढ़ता हो | अब भी उसकी ढोल पीटने वालो की क्या मंशा हो सकती है सोचो ! वाह री राजनीति ! इन चार प्रतिशत लोगो में से जहाँ कहीं भी कोई है उसे न राष्ट्र से मतलब न समाज से मतलब केवल घृणा उगलेगा | सोशल मीडिया पर लिखने के लिए इनके पास और कोई विषय नहीं है | आज इनमें से एक पूर्व प्रवक्ता सज्जन कहने लगे कि देखो दलित आज कितना निरीह है | इनसे कह दिया गया है राम और हनुमान तुम्हारे भगवान हैं और ये अब भी मत्था झुकाए घूम रहे हैं | देखो आज यही एकमात्र सूत्र है जिससे समाज थोड़ा बहुत जुड़ा है | इन सज्जन की घृणा देखो कि ये उसे भी तोड़ देना चाहते हैं |

Thursday 14 June 2018

Breastfeed

Mother Yashoda breastfed Krishna for 5 years and gave the baby butter of Surabhi Cow to eat, and as a result, his body grew to be as solid as a rock and his love for his mother deeper. Today mothers bottle-feed their babies. These children as they grow up enjoy a bottle of cold drink then they take to hit the bottle and end up being on a drip from a glucose bottle.

Friday 1 June 2018

Certificate of Appreciation.

Vishwabharati Literary Festival presents me with this precious Certificate of Appreciation. I don't know how to express my thanks to Dr S. S. Kanade and Sunita Paul ji for this unexpected source of inspiration to me – for this is above all thanks. Anyway, I'm deeply indebted to you both. Thanks a lot.