Monday 15 August 2016

गोलागंज, जनपद बहराइच स्थित उफनती घाघरा नदी का कटान

आज 15 अगस्त को हम लोगों की एक टीम जिसमें मैं, रमेश तिवारी, शीतल प्रसाद अग्रवाल, विजय यादव, मस्त राम एवं सनत कुमार शुक्ल मौजा गोलागंज में घाघरा नदी की कटान से प्रभावित लोगों का जायज़ा लेने गये | 
गोलगंज बँधे के उस पार व्यापक रूप से फैली घाघरा नदी |

जब हम लोग कहारन पुरवा पहुचे तो वहाँ की स्थिति देखकर ऐसा लगा कि मनुष्य ऐसी भी स्थिति में जीवन यापन कर रहा है | मौजा गोलगंज के इस गाँव के 300 घरों को नदी ने अब तक निगल लिया है | लोग अपने घरों के ईंटों को खोद कर ट्राली से बंधे पर ले जा रहे हैं | साथ ही अनाज और कुछ समान जिसे वे ढो सकते हैं उसे सुरक्षित स्थान पर पहुचा रहे हैं क्योंकि उनके अनुसार यदि वे ऐसा नहीं करते तो बचा हुआ समान भी नदी में समा जाने का ख़तरा है | गाँव वालों के अनुसार घाघरा पिछले 8 घंटे में 60 फिट ज़मीन काट चुकी है | उनके अनुसार ऐसा तब होता है जब दक्षिण और पश्चिम से आने वाली हवाएँ तेज हो जाती हैं |

घाघरा नदी कहारन पुरवा के पास जहाँ पर कटान कर रही है वहाँ का एक दृश्य: 
यही हाल टेपरी, शुकुलपुरवा, कोरिन पुरवा, धोविन पुरवा तथा कायमपुर मौजा के जर्मापुर का भी है |

लोग तिगड़ा के आस-पास या बँधे पर गोलगंज चौराहे से बंदरवा बाबा तक टेंट लगाकर बस रहे हैं |
गोलगंज बँधे के अगल-बगल कटान प्रभावित लोगों की अस्थाई बस्ती:

लोग तिगड़ा के आस-पास या बँधे पर गोलागंज चौराहे से बंदरवा बाबा तक टेंट लगाकर बस रहे हैं | देखा यह गया कि वहाँ पीने के पानी की भारी किल्लत है | हमारे मित्र श्री शीतल प्रसाद अग्रवाल जो एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं उन्होने ध्रुव कुमार के माध्यम से वहाँ कुछ नल लगवाए हैं | जब हम लोग उन नलो को देखने पहुचे कि वे ठीक से लग गये हैं कि नहीं तब वहाँ के लोगों ने हमें बताया कुछ और नालों की आवश्यकता है क्योंकि पानी लेने के लिए लोगों को बहुत दूर तक जाना पड़ता है और कभी-कभी तो एक एक नल पर बीस बीस लोगों की लाइन लग जाती है |

हम लोगों के पास कुछ पैकेट समोसे थे जिन्हे हम बच्चों में बाटने लग गये | उसे बाँटना दुश्वार हो रहा था क्योकि जहाँ देखो वहीं भीड़ जमा हो जाय | हम सामाजिक कार्यकर्ताओं या अन्य सक्षम नागरिको से अपील करते हैं कि यदि हो सके तो वे गोलागंज जायें और ऐसे कठिन दौर से गुजर रहे लोगों की श्रद्धा अनुसार मदद करें |

स्वामी परमानंद शिक्षा निकेतन, खम्हरिया शुक्ल – बहराइच

स्वामी परमानंद शिक्षा निकेतन, खम्हरिया शुक्ल बहराइच
70 वां स्वतंत्रता दिवस

आज पारंपरिक रूप से "स्वामी परमानंद शिक्षा निकेतन, खम्हरिया शुक्ल" ने देश का 70 वां स्वतंत्रता दिवस बड़े ही हर्शोल्लाश से मनाया l बहराइच शहर से प्रबंध समित के पदाधिकारी एवम् सदस्य सर्वश्री शीतल प्रसाद अग्रवाल, रमेश चन्द्र तिवारी, विजय यादव, मस्त राम और सनत कुमार शुक्ला प्रातः विद्यालय पहुंचे | इस बार आस पास ग्रामीण अंचल के निवासियों में काफी उत्साह देखा गया क्योंकि इस राष्‍ट्रीय उत्सव में भाग लेने के लिये लोग बड़ी सांख्या में विध्यालय आये | सभी ने परमपूज्य गुरुदेव की आरती की | श्री हरिनाथ प्रसाद मिश्र (प्रधानाचार्य), श्री अनिल कुमार बाजपेयी (सहायक प्रधानाचार्य), तथा अध्यापक गण सर्वश्री राकेश कुमार श्रीवास्तव, सुशील कुमार बाजपई, भीमसेन बाजपई, पंकज कुमार शुक्ल, वीरेंद्र कुमार गौड़, दिव्यलोक श्रीवास्तव, श्रीमती मीना श्रीवास्तव ने अपने नियंत्रण में बच्चों की प्रभात फेरी निकाली | बच्चे उत्साह से ‘भारत माता की जै’ ‘बंदे मातरम्’ तथा ‘परम पूज्य गुरुदेव की जै’ का उद्घोष करते हुये जब पंक्तियों में निकले तब देश भक्ति, ईश्वर भक्ति एवं शिक्षा के प्रति जागरुकता का वातावरण बन गया | प्रभात फेरी के पश्चात अध्यापकों की टीम ने विद्यालय भवन पर स्थित झंडे के सम्मुख बच्चों को कतार में खड़ा किया | सभी बच्चों के हाथ में एक तिरंगा ध्‍वज था |"भारत माता की जय" घोष के साथ विद्यालय प्रबंध समिति के सचिव श्री शीतल प्रसाद अग्रवाल ने झंडा रोहण किया l

बच्चों ने राष्ट्रगीत का गायन किया | झंडारोहण कार्यक्रम के पश्चात विद्यालय भवन के वरामदे में एक सभा आयोजित की गयी जिसमें अध्यापक़ श्री पंकज कुमार शुक्ल के निर्देशन में छात्रों ने सांकृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये | किसी ने अंग्रेज़ी में भाषण दिया, किसी ने गीत प्रस्तुत किया, किसी ने काब्य पाठ किया | तालियों की गड़गडाहट से विद्यालय पारँगण गूँज उठा |

श्री शीतल प्रसाद अग्रवाल ने सभा को संबोधित करते हुये कहा कि परम पूज्य गुरुदेव हमारे अविभावक हैं और इस विध्यालय को उनका आशीरबाद प्राप्त है | फिर उन्होने कहा कि आज देश का सौभाग्य है कि उसे श्री नरेन्द्र मोदी जैसा प्रधान मंत्री मिला हुआ है जो एक कुशल प्रशासक, उच्‍चस्‍तरीय कूटनीतिग्य होने के साथ-साथ समाज में अच्छी सोच, अच्छा जीवन शैली के प्रति जागरुकता पैदा करने में अपनी कुशल भूमिका रखते हैं | उन्होने प्रधान मंत्री के स्वक्षता अभियान की बड़ी प्रशसा की | स्वक्षता अभियान से प्रेरित प्रधानाध्यापक के द्वारा विध्यालय की सफाई की उन्होने भूरि-भूरि प्रसंशा की | उन्होने अविभावकों से निवेदन किया कि वे अपने बच्चों को नित्य समय से विद्यालय भेज कर सहयोग करें |

सभा को रमेश चन्द्र तिवारी ने संबोधित करते हुए कहा कि हम एक बार अँग्रेज़ों से आज़ाद हो गये थे इसका अर्थ यह नहीं है कि हम सदैव के लिए आज़ाद हो गये | प्रथम तो हमें अपने आज़ादी के प्रति सदैव तत्पर रहना आवश्यक है क्योकि देश विरोधी आवाज़ हमारे बीच से ही निकलना प्रारम्भ हो गयी है | दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब तक हम अपनी संस्कृति और अपनी सभ्यता संपूर्ण देश में स्थापित नहीं कर सकेंगे तब तक हम पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं हो सकते | पाश्चात्य संस्कृति पर आधारित विद्यालय हमारी भावी सन्तति को क्षति पहुचा रही है | उनमें जो निष्ठा अपने देश व समाज के प्रति होनी चाहिए उसमें उत्तरोत्तर कमी होने के संकेत मिल रहे हैं | आज देश को 'स्वामी परमानंद शिक्षा निकेतन, खम्हरिया शुक्ल' जैसे बहुत सारे विद्यालयों की आवश्यकता है |

श्री मस्त राम जी ने कहा कि केवल ज्ञान से ही व्यक्ति श्रेष्ठ नहीं होता | सद्व्योहार, सुसंस्कृति, नैतिक और धार्मिक मूल्य के वगैर कोई भी व्यक्ति महान नहीं हो सकता और इसकी शिक्षा गुरुदेव के इस विद्यालय में ही सम्भव है |

श्री विजय कुमार यादव ने स्वतंत्रता दिवस पर एक मनमोहक गीत प्रस्तुत किया जिसको बच्चों ने ताली बजा-बजा कर उनके साथ गया |

प्रबंध समिति की ओर से उन बच्चों को पुरस्कृत किया गया जिन्होने सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उत्कृष्ठ प्रदर्शन किया |

अंत में अध्यापकों और उपस्थित अविभावकों की एक संयुक्त मीटिंग की गयी जिसमें शिक्षा के स्तर को और प्रभावी बनाने पर चर्चा हुई | इस सभा के अध्यक्ष श्री शीतल प्रसाद अग्रवाल ने अध्यापकों से अपील की कि चूँकि शिक्षक का स्थान भगवान् के सामान होता है और शिक्षण सर्वश्रेष्ठ कार्य है इसलिए वे सभी विद्यालय के छात्रों को पूरी निष्ठा से पढावें, उन्हें चरित्रवान बनावें तथा विद्यालय के प्रति अपनत्व का भाव रक्खें l

Thursday 11 August 2016

Kashmir

We have a beautiful garden in our compound –
A heaven on Earth.
All through the year, plants and shrubs bloom,
Trees blossom, the ground is grassed over
And naturally sown with flowers,
Valleys sing our old classics,
Hills reveal the history of our heroism
And our temporal and spiritual leadership,
Mountain streams play sweet music
And sunlight dance on its water,
Waterfalls thunder to tell of our supremacy,
Cuckoo calls and breeze waits to cool our faces.
But ah, there are a lot many serpents of long-imported
Politics armed with hostility, threats and extremism,  
Slithering, hissing and coiling here and there
And we cannot walk in our own garden freely.   
Flowery banks and brooks vibrant,
Valley dales and woods different,
Winter’s sun and summer’s clouds,
Hills snowy and waters proud -
Beauty has been sung in songs,
Man thy beauty soars beyond,
        Nay, no life, no ties, nor a heart to throb!
Deadly is the sea; deadlier the sky;
Bad blood, self and shiftiness high.
Hope, help, health mourn and cry!



Ramesh Tiwari

Friday 5 August 2016

Award

Dr S. P. Singh, the Principal of Kisan Post Graduate College, Bahraich awarded me with a Certificate of Achievement as an author on behalf of Ambuja Films


To have a read of my works, click on the links below:

http://www.galaxyimrj.com/V4/n3/Ramesh.pdf          The Bus Ticket  May 2015 Vol. 4. Issue III

http://www.the-criterion.com/V4/n5/Ramesh.pdf      A Wad of Notes October 2013 Vol. 4. Issue V

http://www.the-criterion.com/V5/n6/Ramesh.pdf     Possessiveness Brings Life; the Excesses, an End 
December 2014 Vol. 5. Issue – 6

http://www.galaxyimrj.com/V3/n4/Ramesh.pdf          On Being Distinguished July 2014 Vol. 3. Issue - IV
  
http://www.the-criterion.com/V5/n2/Ramesh.pdf       Our Inspirations are the Will of God April 2014 Vol. 5, Issue – 2

http://www.the-criterion.com/V5/n4/RameshChandra.pdf  You dilly-dally? August 2014 Vol. 5, Issue - 4

http://www.galaxyimrj.com/V3/n6/Tiwari.pdf          The Girl November 2014 Vol. 3, Issue – VI

http://www.galaxyimrj.com/V3/n2/Ramesh.pdf          The Hermit and His Disciples March 2014, Vol.  3, Issue – II

http://www.the-criterion.com/V6/n5/Ramesh.pdf                 The Poverty Trap

http://www.galaxyimrj.com/V4/n6/Ramesh.pdf          A No-Party Democracy


http://www.the-criterion.com/V7/n2/Tiwari.pdf    (Poem) The Human Population


http://www.galaxyimrj.com/V5/n4/Ramesh.pdf   “Hari-Ki-Pauri”


 
I was born in an educationally backward village, Umari Dahelow, District - Bahraich, Uttar Pradesh (India) in 1964. I work for Life Insurance Corporation of India, which is the only source of my livelihood, and my favourite pastime is reading books and writing prose, poetry and fiction in English. My works have been published by a few leading publishers: one of my essays appeared in ‘Reading Hour’, Bangalore; one, in the RML Avadh University Journal, five short stories and a poem in ‘The Criterion: An International Journal in English’, five short stories in Galaxy: International Multidisciplinary Research Journal and one short story in LANGLIT. Earlier I had been writing in Hindi and my works in Hindi had appeared in a good many magazines and news papers. My works include the study of the complex nature of the human mind, of ideals with which better human relationships are possible and of different sources that provide man with numerous ideas about life and death and with material that can satiate the varied tastes of man.

Monday 1 August 2016

Hari-Ki-Pauri, Haridwar


To open the journal click again on the link http://www.galaxyimrj.com/V5/n4/Ramesh.pdf




Galaxy published a short fiction, “Hari-Ki-Pauri” written by me. Hari-Ki-Pauri is a famous ghat of the Ganges in Haridwar (a district of Uttarakhand State, India) which is one of the seven holy pilgrimage centres in India. The fiction is a brief description of the popular myths and the geographical features of a place presented through a series of dialogues, nonetheless, informative and entertaining. Enjoy the wonderful read by clicking on to the link below: