Sunday 30 September 2018

Relations

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Thursday 20 September 2018

हिन्दी पखवाड़ा

आज हिन्दी पखवाड़ा में शाखा प्रबंधक श्री संजय कुमार सावंत की अध्यक्षता में भारतीय जीवन बीमा निगम - बहराइच ने कवि सम्मेलन का आयोजन किया | सम्मेलन का संचालन मैने ही किया | हास्य-व्यंग्य के प्रख्यात कवि श्री आशुतोष श्रीवास्तव ने बीमा परिवार के लोगों का भरपूर मनोरंजन करते हुए हिन्दी भाषा की महत्ता पर ज्ञान वर्धक कविताएँ सुनाईं | उन्होने अपनी कविताओं के माध्यम से कहा कि हम अपनी ही भाषा संकृति में सूबिधा पूर्वक जीवन जी सकते है | उन्होने अँग्रेजियत की जमकर खिल्ली उड़ाई | अपनी सामाजिक व राजनीतिक कविताओं के लिए लोकप्रिय कवि, अमर उजाला के प्रमुख श्री अतुल कुमार अवस्थी जी ने कविताओं के माध्यम से कहा कि देश की राजनीतिक स्थित बेहद विगड़ चुकी है | देश बन्दे मातरम कहना चाहता है, कश्मीरी काश्मीर को भारत का हिस्सा मानते हैं, लोग हिन्दी बोलना लिखना चाहते हैं, लोग देश को प्रेम करते हैं लेकिन जो भी विरोधी आवाज़ें उठ रही हैं वह राजनीति के द्वारा पैदा की गयी समस्या है | किसान डिग्री कालेज के विद्वान प्रवक्ता श्री अजय त्रिपाठी जी ने हिन्दी के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारा जनपद हिन्दी उपयोग के प्रमुख क्षेत्र में आता है अतः इसके विकास का दायित्व भी हमारा है | हमें आज संकल्प लेने की आवश्यकता है कि अगले वर्ष जब हम हिन्दी दिवस मनाएँ तब हमें इस बात की पूरी संतुष्टि हो कि हमने हिन्दी विकास में अपना भरपूर योगदान किया है | हम अपने ग्राहक को हिन्दी में समझ सकते व संतुष्ट कर सकते हैं और व्यवसाय में सफलता पा सकते हैं | सभा को श्री बजरंग कुमार मिश्र व श्री रन्जुल गौतम ने भी संबोधित किया | अन्त में शाखा प्रबन्धक महोदय ने मुख्य अतिथियो को शाल भेट कर सम्मानित किया | गुरुवार, 20 सितम्बर 2018

Sunday 16 September 2018

Happy Birthday to Our Well-Liked Prime Minister!

I wish a Happy Birthday to the Prime Minister, who has endeared himself to his fellow countrymen, has a lot of real love for the whole country and lives not for living a life but for the sake of the nation! I would like to present him with a nice little poem which I wrote on Tuesday, 16 September 2014, the day before his birthday and which is the 14th poem of my book ‘Trishna – Thirsty Wings’ recently published by Vishwabharati.


Thursday 13 September 2018

Trishna: Collection of Poems

Vishwabharati, one of the foremost publishing houses, has sent me the copies of my book Trishna (Thirsty Wings). Now they are available from me and also from the publisher. It costs Rs 249 and can be purchased by placing an order either with the publisher email: thematicspublications@gmail.com 
or 
or with me email: rameshctiwari600@gmail.com  
You will get them from Flipkart very shortly. 

                                                                                     

Tuesday 11 September 2018

Hartalika Teej


Shiv represents the supreme mind that pervades the universe and handles the great energy (Maa Duga and Maa Kali) to make the cosmos work. The sculpture of Shiv represents the universe as the shape of the universe and Shiv sculpture are alike. Bhole Nath is a sensible mahadev, so kind, affectionate and fair. Those who worship Him with clean hearts, having implicit faith in Him lead fearless life, achieve what they want to, or in a word enjoy the world. Today is Hartalika Teej, the pious day when Mata Parvati established a sand sculpture of Shiva in a forest and started to worship him without food and water. After years of hard austerity she was married to Lord Shiva. Today single women fast and do what Mata Parvati had done in order to get a good husband and married women for long and happy life for their husbands. The worshipers fast, give up sleep, live as an ascetic, offer bilv patr and white flowers to Shiva and bathe him with panchamrit on this holy day. I wish everyone a very Happy Hartalika Teej!

Sunday 9 September 2018

सवर्ण

कांग्रेस के लोग दस दस पंद्रह पंद्रह वर्षों तक प्रधान मंत्री की कुर्सी पर बैठे रहते हैं पता नहीं कौन सा घी खा कर आते हैं कि थकते नहीं | बीजेपी का प्रधान मंत्री तो केवल चार साढ़े चार वर्षों में ही थक कर चूर हो जाता है | सामान्यतः पार्टियाँ यह सोचती हैं कि सवर्णो की संख्या बहुत कम है उपर से वे वोट डालने भी कम ही जाते हैं अतः उसकी ओर ध्यान देना बहुत ज़रूरी नहीं है | हाँ, उसके खिलाफ कुछ करके चुनाव ज़रूर जीता जा सकता है क्योंकि एक बड़ी संख्या में दलित व पिछड़ा वर्ग उससे घृणा करता है | खैर, इन्हें यह पता नहीं है कि सवर्ण वोट तो उतना नहीं डालने जाता है लेकिन एक बड़ी संख्या में वोटरों को मोड़ देता है | कांग्रेस ने इसी के दम पर निर्वाध राज किया और जब जब यह वर्ग बीजेपी के साथ जुड़ गया वही कांग्रेस ज़मीन पर आ गयी | बहन मायावती जी इसी के दम पर मुख्य मंत्री बनी थीं | बाद में जब उन्होने इस वर्ग को धोखा दिया वे राजनीति से गायब हो गयीं | इसी वर्ग ने विश्वनाथ प्रताप सिंह को प्रधान मंत्री बनाया और जब उन्होने इस वर्ग का पैर काटा तो उनका नाम लेने वाला कोई नहीं रह गया | 2014 में इसी वर्ग के भक्तों ने माहौल बनाया तो मोदी जी राजनीति के धरातल पर हीरो बनकर उभरे | उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि यदि गिलहरी पहाड़ की तरह अपने पीठ पर जंगल नहीं उगा सकती तो पहाड़ भी उसमें से एक अखरोट नहीं तोड़ सकता | घृणा की राजनीति से घृणित और कोई राजनीति नहीं | बड़े बड़े शब्दों में तारीफ अक्सर व्यंग्य होता है | एससी/एसटी अत्याचार क़ानून को कुछ इतना बढ़ा चढ़ा दिया गया कि अब वह व्योहारिक ही नहीं रह गया | जब लोग बिना अपराध षड्यंत्र से जेल जाएँगे तो किसी को पता है इस समाज का क्या होगा ? मेरा मतलब यह नहीं है कि बीजेपी केवल सवर्णों का पक्ष ले सभी देश के नागरिक हैं अतः सबका साथ सबका विकास की राह पर पूरी ईमानदारी से चले और वे दलित वे पिछड़े जो अभी भी वंचित जीवन जी रहे हैं उन्हें हर तरह का सहयोग देकर मूल धारा में लावे | ईर्ष्या किसी सुदामा को संपत्ति देने में नहीं होती ईर्ष्या तो तब होती है जब किसी धनवान के महल उसे सुदामा कहकर बनवाए जाते हैं |     

Saturday 8 September 2018

कांग्रेस देश के बर्वादी की जड़ है

शायद ही कोई ऐसा देश रहा हो जो ब्रिटिश कालोनी नहीं था | एक समय आया जब एक के बाद दूसरे आज़ाद होने लगे | जो भी देश आज़ाद हुआ उसकी प्राथमिकता नागरिकों की शिक्षा थी | इस तरह शिक्षित नागरिक अपने देश को सशक्त व विकसित करने में लग गये | परन्तु जब हिन्दुस्तान आज़ाद हुआ तो यहाँ एक परिवार ने सदैव सत्ता में बने रहने को प्राथमिकता दी और देश के नागरिकों को इसलिए अशिक्षित बनाए रखा ताकि वे उसकी सस्ती और समाज बाँटने की राजनीति के जाल से बाहर न निकल सकें | परिणाम यह हुआ कि आज अशिक्षा की वजह से देश जनसंख्या के भार से दब चुका है : वेरोज़गारी, अव्यवस्था, सामाजिक घृणा, तुष्टिकरण की राजनीति, भुखमरी, बीमारी - अब इन सबका कोई इलाज़ नहीं है | ईश्वर ही इस देश को चला सकता है, मनुष्य के वश से सब कुछ निकल चुका है |

अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार क़ानून सही अर्थों में राष्ट्रीय अत्याचार क़ानून है क्योंकि इससे किसी का भला नहीं होने वाला है बल्कि आराजकता, हिंसा, उत्पीड़न देश में जंगल के आग की तरह फैल जाने की पूरी संभावना है | इस तरह के जितने क़ानून हैं वे सभी कांग्रेस माता के या तो पुत्र हैं या तो उसके पौत्र हैं | बीजेपी को तो इन सब ने मजबूर किया | फिर भी बीजेपी को हमने इसलिए चुना था कि वह देश को ऐसी समाज विरोधी चीज़ों से मुक्त करे और स्वस्थ प्रशासन स्थापित करे | सारा क़ानून यदि वोट है तो देश का भविष्य भयानक आराजकता है | मात्र सौ रुपये की बोतल और एक हँसता, मुस्कराता परिवार नष्ट | यदि यही स्थिति रही तो देश के पास प्रजातंत्र के अतिरिक्त किसी दूसरी व्यवस्था के अन्वेषण के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं बचेगा |

प्रधान मंत्री मोदी ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया और अपने उद्देश्य मे सफल भी रहे लेकिन इस बार एससी\एसटी क़ानून के मामले पर कांग्रेस व वामपंथियों ने बीजेपी को ऐसी पटकनी दी है कि उसकी स्थिति साँप और छछून्दर जैसी हो गयी है - न उगला जाय न निगला जाय | मुझे तो इस क़ानून को क़ानून कहना भी उचित नहीं लगता क्योंकि यह तो क़ानून का विलोम है | यहाँ पर तो यह लगता है हिन्दू एक ऐसा समाज है जो कभी एक नहीं हो सकता और यह देश पर अधिक दिनों तक राज नहीं कर सकता है | हिन्दू के तीन मुख्य भाग हैं : दलित, पिछड़ा और सवर्ण | स्वतंत्रता का असली लाभ केवल कुछ तथाकथित दलित कहे जाने वाले लोगों को मिला क्योंकि वे पहले से ही राजनीतिक, सामाजिक और बौधिक रूप से संपन्न थे | इसी तरह कुछ बचा-कुचा लाभ कुछ तथाकथित पिछड़ों को मिला | वास्तविक दलित अब भी दलित हैं, वास्तविक पिछड़े अब भी पिछड़े हैं | सवर्णों का तो सब कुछ चला गया फिर भी यह वह वर्ग है जो १५ अगस्त और २६ जनवरी को सबसे अधिक उत्साह से मानता है और प्यार से बन्दे मातरम कहता है | अब देखो, लाभ नही अपने देश में अपनी सुरक्षा के लिए इसके पास एक किला था जिसका नाम बीजेपी है अब उसने भी कह दिया कि तुम्हारा घर भारतीय समाज में नहीं है बल्कि जेल में है | हिन्दू को एक करने आए थे उन्होने हिन्दू को इस तरह बाँटा कि इतिहास में कभी किसी ने इतनी गहरी खाई नहीं खोदी थी | दलित सवर्णों के प्रति घृणा का साहित्य बहुत पहले से लिख रहा है | कांग्रेस ने तहे दिल से इसको प्रोत्साहित किया - ऐसे साहित्य को पाठ्यक्रम में शामिल किया, ऐसे साहित्यकारों को पुरस्कृत किया और इस तरह न जाने क्या क्या किया | फिर भी हिंदू धर्म एक ऐसा जोड़ था जो इन तीनों वर्गों को अभी तक जोड़े रहने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा था | अब क़ानून पर क़ानून ने उस पर भी पानी फेर दिया है | जल्दी ही दक्षिण में एक पुस्तक प्रकाशित हुई है जिसके मुख्य पृष्ठ पर दर्शाया गया है कि बाबा साहेब ने भगवान राम और लक्षण को पेड़ से बाँध दिया और वे उन पर कोडे वर्षा रहे हैं | दुख है इस तरह हिन्दू एकता हो रही है | वह दिन दूर नहीं है जब ये हिन्दू तब तक लड़ते रहेंगे जब तक पाकिस्तान इस पर कब्जा करके शासन करने लगेगा | उसके बाद ये सभी शान्त हो जाएँगे और खून में व्याप्त गुलामी के आनन्द में पुनः मस्त हो जाएँगे |

कुछ लोग कहते हैं कि हिन्दू एकता के लिए एससी / एसटी पर और कठोर क़ानून लाने की आवश्यकता थी | मुझे ऐसे दार्शनिकों पर हँसी आती है | बीजेपी कोई फोरम नहीं है जहाँ सारे हिंदू आकर गले मिलेंगे | यदि हिंदू को सच में एक करना है तो सबसे पहले आरक्षण सहित ऐसे सभी अधिनियम समाप्त करने होंगे क्योंकि ये सभी कांग्रेस के घातक हथियार हैं जिससे वह समाज को हमेशा से बाँटती रही है | अब बात आई दलित उत्थान व उसकी सुरक्षा की : हिंदू समाज के प्रत्येक ग़रीब (चाहे जिस जाति का हो) को शिक्षित कर दो फिर उसे सरकारी नौकरियों में वरीयता दे दो दलित उत्थान अपने आप हो जाएगा | जहाँ तक उनकी सुरक्षा का सवाल है |देश का क़ानून हर नागरिक को सुरक्षित व उसके अधिकारों की रक्षा के लिए है जब वह किसी को सुरक्षित नहीं कर पा रहा है तो क्या क़ानून में क़ानून बना कर किसी को सुरक्षित किया जा सकता है ? बाबा साहब के बनाए क़ानूनों का लाभ दलित के चार प्रतिशत लोगों को ही मिल पाया है और कांग्रेस बाद में बीएसपी ने उन्हें अपने प्रचारक के रूप में हथिया लिया है | वे अब किसी दूसरी ओर नहीं जा सकते वरन उनके मुख से निकले विष हिंदू समाज के टुकड़े टुकड़े करते रहेंगे | यदि और कुछ अधिक नहीं कर सकते हो तो कम से कम ऐसे क्रीमीलियर को सामान्य के साथ कर दो और उन्हीं के समाज के बाकी लोगों को आगे आने का मौका दे दो इससे भी हिंदू समाज जुड़ सकता है |

जो लोग टीवी देखकर इस विश्वास में हैं कि हिन्दुस्तान एक शक्तिशाली अर्थव्यवस्था व सैन्य शक्ति है वे भ्रम में हैं या से करने लग जाएँ | इसकी वजह सॉफ है कि एशिया के ये विकसित देश बोझ लादकर चलने वालों में से नहीं हैं | इनके प्रत्येक नागरिक समान अधिकार और समान योगदान की परम्परा में जीते हैं | इसके विपरीत हिन्दुस्तान| हाँ, यूपीए की तुलना में अब ज़रूर सुदृढ़ हुए हैं किन्तु इतना भी नहीं कि हम अपनी तुलना चीन, जापान, कोरि की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा देश के सिर पर एक भार की तरह है जिसे ढोना देश की मजबूरी है, जिसे खैरात देना देश की मजबूरी है क्योंकि प्रजातंत्र जो है | कहते हैं चीन भी हमसे मात खाएगा |अरे भाई, एक पहलवान स्वतंत्र है और दूसरा सौ किलो का वजन बाँध कर लड़ा रहा है कौन जीतेगा ? फिर दूसरी तरफ जिस खेत में चूहे लग गये हों उसमें अनाज ही होना है | वह खैराती वजन और ये भ्रष्टाचारी चूहे ये इतने शक्तिशाली हैं कि आप अपना मुँह भी नहीं खोल सकते |

Sunday 2 September 2018

यदा यदा हि धर्मस्य


यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । 
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् 

O Bharat, whenever faith and values degenerate 
And sin & evil rise, as a man I become incarnate. 
                                                                                                                                                                               Translated by Ramesh Tiwari 

Happy Janmashtami, Everyone!

Saturday 1 September 2018

मन मेरा गाये रे गोविन्द गोविन्द !

गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्द
मन मेरा गाये रे गोविन्द गोविन्द !

प्राणों में गोविन्द साँसों में गोविन्द,
मंगलमयी मूर्ति नयनों में गोविन्द,
संवेदना चेतना मेरी गोविन्द,
जीवन की ज्योतिर्मयी ज्योति गोविन्द,
गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्द,
मन मेरा गाये रे गोविन्द गोविन्द !

तुझे खोजता क्यों फिरू मेरे गोविन्द,
तन मन हमारा तुम्हारा है गोविन्द,
पथ हूँ तुम्हारा कहीं जाओ गोविन्द,
ऱथ हूँ तुम्हारा रथी मेरे गोविन्द,
गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्द,
मन मेरा गाये रे गोविन्द गोविन्द !

ध्वनि हूँ मधुर तेरे बंशी की गोविन्द,
जल थल में नभ में गूंजूँ मैं गोविन्द,
गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्द,
मन मेरा गाये रे गोविन्द गोविन्द !
                                    रमेश तिवारी