Tuesday 31 October 2023

Statue of Unity



The most venerated Home Minister, Sardar Ballabh Bhai Patel, took over 565 independent states within India. When Shri Narendra Modi became the Prime Minister, he organised a Run for Unity as a tribute to 63rd Anniversary of his death on 15 December 2013 and had soil and iron collected from all parts of India so that the highest Statue of Unity could be erected at the River Narmada in Gujarat in memory of the Angel of territorial integrity. This poem was written on 31st October 2018 when the Prime Minister inaugurated the Statue in commemoration of 143rd anniversary of the birth of Sardar Ballabh Bhai Patel.

We have for so long worshipped fake ones,
Giving them all the credit for Independence.
That they rubbed out the names of champions
By still dressing up their British dependence

As freedom struggle is their main claim to fame.
Bismil, Bhagat, Shekhar, Savarkar, Subash
Died for the country but got no good name.
Had it not been for the wisdom of Sardar,

There would be Kashmirs all over the country;
Waned his contributions worthy to be preserved;
The candidate for PM supported by all and sundry
Had to withdraw the candidacy he richly deserved:

It was not until the Unity Run and the Colossus
That his birthday prominence ..................................
To read more poems, read The Rise of NaMo and New India


Sunday 22 October 2023

निकली है वान्ट

राजनीति पर यह एक व्यंग्य रचना है जो 10 जून 1988 को लिखी गई थी तथा यह तरुण छत्तीसगढ़ में 16 जुलाई 1988 को प्रकाशित भी हो गयी थी ।


मेरा बेरोज़गार दोस्त भागते हुए आया

हाँफ़ते-हाँफ़ते उसने बताया,

यार, निकली है वान्ट !

अरे ! मैने कहा तू हो जा शांत ।

उसने कुर्सी खींची

बैठकर बढ़ती साँस रोकी ।

फिर बोला,

लीडरों के पद भारी मात्रा में हैं रिक्त

और अपने लिए हैं बिल्कुल उपयुक्त ।

उमर में जिंदगी भर की छूट,

चलो दो पद लावें लूट ।

इसमें चूके

तो रहोगे भूंखे

क्योंकि हम ओवर ऐज हो चुके ।

रही योग्यता की बात

पढ़ता हूँ पेपर है साथ ।

शिक्षा में :

चलेगा पहला अक्षर फेल

बस चाहिए अनुभवों का तालमेल ।

अनुभव – न्यूनतम :

किसी मान्यता प्राप्त जेल में बिताएँ हों दो वर्ष,

अस्पताल में पौन वर्ष ।

अनिवार्यता :

होना ज़रूरी है फोकटी कार्यकर्ता,

मुख्य रूप से, जिससे इलाक़ा हो डरता ।

वरीयता :

अगर है अभिनेता तो मिलेगी वरीयता ।

हो दुर्नाम या बदनाम

बस नाम होने से काम ।

आवेदन विधी :

है बिल्कुल सीधी

नाटकीय आँसू बहाने का,

परिमार्जित झूठ बोलने का,

उत्तम डींग मारने का,

दमदार गला फाड़ने का,

इन सबका सही-सही कालम भर देना है

और नीचे अंगूठा टाप ठोंक देना है ।

संलग्नक :

जाने माने नेता द्वारा जाति प्रमाण पत्र,

साथ में वाइन हाउस का चरित्र प्रमाण पत्र

संलग्न कर कोई पार्टी देख लो

और उसको यह सब भेज दो ।

नोट :

नागरिकता में

ज़रूरी नहीं है भारतीयता ।

केंद्र परीक्षा के

चुनो अपनी इक्षा से ।

और हाँ, इस परीक्षा में

बैठने के बजाय होना है खड़ा

सोचना नहीं है

अगर जर-ज़मीन भी बेचना पड़ा ।

~~~~

यह कविता डायमंड बुक्स द्वारा प्रकाशित मेरी पुस्तक "अनुश्री" से ली गयी है। #अनुश्रीकविताएं हिन्दी में रचित मन को मुग्ध कर देने वाली पुस्तक है। यह इतनी सरल है कि इसे कोई भी पढ़ और समझ सकता हैं । इसमें प्रवेश करते ही आपको ऐसा प्रतीत होगा कि आप सुन्दर से कल्पना लोक में हैं जिसमें एक ओर दिव्य मंदिर हैं जहाँ प्रार्थना व् भजन हो रहे हैं घंटियां बज रही हैं, दूसरी ओर भारतीय संस्कृति की अदभुद झांकियां सजी हुई हैं, राजनीति के रहस्यमयी सुरंग हैं, देश के स्वर्णिम अतीत के चलचित्र, नन्हें बच्चों के घरौंदे, प्रेम की चित्ताकर्षक वादियां हैं।

इस पुस्तक में सौ से भी अधिक कविताएं हैं जो आस्था, प्रकृति, राष्ट्र, मानवता, राजनीति, बाल काब्य, संस्कृति, महापुरुष आदि नौ खण्डों में विभक्त हैं । कोरोना महामारी का हृदयविदारक चित्रण है, स्वच्छ भारत पर एक मनोरंजक एकांकी है और जल ही जीवन है विषय पर एक दिल दहला देने वाली एक कहानी है । पुस्तक बहुत ही सरल, मनोरंजक व् जीवन मूल्यों के सन्देश से युक्त है ।

आपका मन उदास रहता है, अनिक्षा होती है, उत्साह में कमी आ गई है, त्योहारों की स्वाभाविक ख़ुशी नहीं होती है, लोगों से मिलने का मन नहीं होता है, नींद में भय महसूस होता है ? यदि इसमें से एक भी लक्षण आप में हैं तो आपमें मोबाईल लत का बुरा प्रभाव होना प्रारम्भ हो गया है। मोबाईल के चारों और माइक्रोवेव फील्ड बना लेता है जिसके अधिक संपर्क में तनाव होने लगता है। अतः मनोरंजन हेतु पुस्तक पढ़िए, #अनुश्रीकविताएं पढ़िए - उसमें प्रेम, दया, श्रद्धा, उमंग आदि भावनाएं जो आपमें निष्क्रिय हो गयीं हैं उन्हें पुनर्जागृत करने वाली चीजें है। पढ़ते ही आपमें भिन्न-भिन्न मनोभाव उठेंगे और आप प्रसन्न हुए बिना नहीं रह सकेंगे।

गूगल सर्च पर आप 'अनुश्री - कविताएं' लिखिए आपको सारे देश विदेश के ऑनलाइन विक्रेता देखेंगे और आप इस पुस्तक की अपनी प्रति प्राप्त कर सकते हैं।

सच्ची दीवाली

दीवाली त्योहार व्यापार, समृद्धि, प्रेम, उत्साह, आध्यात्म, शांति और सहयोग का प्रतीक है । 28 अगस्त 1988 को इस कविता की रचना इस उद्देश्य से की गई थी कि लोग जैसा राम राज्य में था उसी तरह एक दूसरे के सहयोगी बने ।

दीप खुशियों के ले लो जलाए चलो,
हर गली छान मारो तिमिर ढूँढ लो,
देख लो किस हृदय में है दुख की घनी,
कालिमा रात्रि सी फैलती जा रही,
शीघ्र उनसे वहाँ पर उजाला करो ।
आज ऐसी दीवाली मनाएँ चलो !

प्रेम के अनगिनत दीप लेकर चलो,
है कहाँ पर अंधेरा तलाशो बढ़ो,
देख लो कृष्ण का पक्ष उर में कहीं
है घृणा रूप में क्या घिरा तो नहीं,
शीघ्र उनसे वहाँ पर उजाला करो ।
आज ऐसी दीवाली मनाएँ चलो !

दीप करुणा दया के चलो ले चलो,
काल की रात्रि का तुम पता फिर करो,
देख लो क्रूरता है कहाँ पर बसी,
कौन मानस में है वह निशा सी रुकी,
शीघ्र उनसे वहाँ पर उजाला करो ।
आज ऐसी दीवाली मनाएँ चलो !

सद्विचारो के जलते दिए ले चलो,
कोठरी कोठरी झाँक तम खोज लो,
देख लो चित्त में यदि अमावस मिले,
हों कपट स्वार्थ आदिक जहाँ पर छिपे,
शीघ्र उनसे वहाँ पर उजाला करो ।
आज ऐसी दीवाली मनाएँ चलो !

भूंख की रात में राह भूले हुए
नैश जीवन में हैं जो भी भटके हुए,
झोपड़ी झोपड़ी में उन्हें खोज लो,
रोटियों के दिये जो बचें साथ लो,
शीघ्र उनसे वहाँ पर उजाला करो ।
आज ऐसी दीवाली मनाएँ चलो !

दीप बाहर जलाना तो अभिव्यक्ति है
कि हृदय दीपकों से नहीं रिक्त है ।
राम के आगमन की खुशी है नहीं
तो दीवाली हमारी दीवाली नहीं ।
मन के रावण को आओ पराजित करो,
आज सच्ची दीवाली मनाएँ चलो !
~~~~

यह कविता डायमंड बुक्स द्वारा प्रकाशित मेरी पुस्तक "अनुश्री" से ली गयी है। #अनुश्रीकविताएं हिन्दी में रचित मन को मुग्ध कर देने वाली पुस्तक है। यह इतनी सरल है कि इसे कोई भी पढ़ और समझ सकता हैं । इसमें प्रवेश करते ही आपको ऐसा प्रतीत होगा कि आप सुन्दर से कल्पना लोक में हैं जिसमें एक ओर दिव्य मंदिर हैं जहाँ प्रार्थना व् भजन हो रहे हैं घंटियां बज रही हैं, दूसरी ओर भारतीय संस्कृति की अदभुद झांकियां सजी हुई हैं, राजनीति के रहस्यमयी सुरंग हैं, देश के स्वर्णिम अतीत के चलचित्र, नन्हें बच्चों के घरौंदे, प्रेम की चित्ताकर्षक वादियां हैं।

इस पुस्तक में सौ से भी अधिक कविताएं हैं जो आस्था, प्रकृति, राष्ट्र, मानवता, राजनीति, बाल काब्य, संस्कृति, महापुरुष आदि नौ खण्डों में विभक्त हैं । कोरोना महामारी का हृदयविदारक चित्रण है, स्वच्छ भारत पर एक मनोरंजक एकांकी है और जल ही जीवन है विषय पर एक दिल दहला देने वाली एक कहानी है । पुस्तक बहुत ही सरल, मनोरंजक व् जीवन मूल्यों के सन्देश से युक्त है ।

आपका मन उदास रहता है, अनिक्षा होती है, उत्साह में कमी आ गई है, त्योहारों की स्वाभाविक ख़ुशी नहीं होती है, लोगों से मिलने का मन नहीं होता है, नींद में भय महसूस होता है ? यदि इसमें से एक भी लक्षण आप में हैं तो आपमें मोबाईल लत का बुरा प्रभाव होना प्रारम्भ हो गया है। मोबाईल के चारों और माइक्रोवेव फील्ड बना लेता है जिसके अधिक संपर्क में तनाव होने लगता है। अतः मनोरंजन हेतु पुस्तक पढ़िए, #अनुश्रीकविताएं पढ़िए - उसमें प्रेम, दया, श्रद्धा, उमंग आदि भावनाएं जो आपमें निष्क्रिय हो गयीं हैं उन्हें पुनर्जागृत करने वाली चीजें है। पढ़ते ही आपमें भिन्न-भिन्न मनोभाव उठेंगे और आप प्रसन्न हुए बिना नहीं रह सकेंगे।

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Friday 13 October 2023

आपकी सुरक्षा एकमात्र आपका परिवार

 इस दुनिया में न न्याय है, न सद्भावना है साथ ही क्रूरता और अत्याचार की कोई सीमा भी नहीं है। यह भ्रम है कि कोई आपकी सुरक्षा करेगा। यदि कमजोर पड़े तो भेड़िये आप पर टूट पड़ेंगे फिर उन्हें रहम नहीं होगा कि किसे नोच रहे हैं। अतः आपकी सुरक्षा एकमात्र आपका परिवार है। वह जितना बड़ा होगा उतना ही अच्छा होगा किन्तु बड़े होने के साथ अपनेपन के भाव से संगठित होना और भी अनिवार्य है। सनातन एक परिवार है जिसकी मजबूती हर एक सदस्य के ह्रदय में अटल आस्था पर निर्भर है। लोगों के मन मस्तिष्क में आस्था का निर्माण पूजा, भजन, प्रवचन, कथा के माध्यम से साधू, संत, व्यास आदि करते है उनके विरुद्ध घृणा के भाव पैदा करने वाले आपके परिवार के हितैषी नहीं हैं।  

Monday 2 October 2023

Padma award selection process transformed

Intellectuals and gentlemen are not happy with PM Modi because they expect that the government must treat them as very important people, whereas the PM believes that general public is selfless and the country grows when they work. A few years ago poets, writers and authors did not value the importance of Padma Awards. They started returning them in protest as though the government could not go without them. The Modi government paid no attention to them and preferred to offer the civilian honours to lower class, illiterate artists, performers or craftsmen instead of them. In selection process, it began to place emphasis not on the name of a nominee but on the importance of work. Now the common people are honoured without recommendations. Above all else, the Prime Minister regards the people working selflessly with great respect and expects society to recognize them in other ways as well.