Monday 9 January 2023

अनुश्री-कविताएं Anushree-Kavitaen

डायमंड बुक्स की प्रस्तुति

‘अनुश्री’ एक दार्शनिक निबंध के साथ खुलती है जिसके माध्यम वह अपना परिचय देती है । फिर वह भक्ति भाव में लीन वन्दना, प्रार्थना कर रही होती है, भजन गा रही होती है । जैसे ही उसकी आराधना समाप्त होती है वह वसंत व् पावस की मस्ती का वर्णन करती हुई भारतीय उत्सव के उमंग में बेसुध सी दिखती है । अब यहाँ थोड़ा सा मुड़ती है और राजनीति की गलियों में प्रवेश करके उसके टेढ़े-मेंढे, तंग, अँधेरे पथ का पोल खोलते, मजाक उड़ाते राष्ट्र भक्ति के गीत गाने लगती है । वहीँ वह प्रधानमंत्री मोदी जी की लोकप्रियता व् देश के प्रति उनके समर्पण सहित भारत के कुछ महापुरुषों के त्याग व् बलिदान की गाथा भी गाती है । इसके पश्चात् वह वहां से उछल कर छोटे-छोटे बच्चों के साथ खेलने लगती है । खेलते-खेलते वह मानव समाज की फुलवारी को सींचने संवारने में व्यस्त हो जाती है । अब जब फुलवारी खिल उठती है तब वह उसमें नृत्य करते हुए किशोर ह्रदय को दीवाना करने वाले प्रेम गीत गाने लगती है । पुस्तक कोरोना की पीड़ा में आंसू गिराते-गिराते एक कदम पीछे लौटती है जहाँ वह नोटबंदी व् स्वच्छ भारत विषय पर एकांकी के स्टेज का पर्दा उठा देती है । अन्त में प्रधानमंत्री जी के अमृत पेयजल योजना पर एक मार्मिक कहानी सुनाकर आपका आभार व्यक्त करती है ।

लेखक, रमेश चन्द्र तिवारी (1964) उत्तर प्रदेश में जनपद बहराइच के एक गाँव उमरी दहलो के निवासी हैं । उन्होने अँग्रेज़ी भाषा मे कहानी, निबंध व कविताएं लिखी हैं जो बंगलौर, मुंबई, दिल्ली स्थित विभिन्न जानी-मानी पत्रिकाओं सहित पिट्सबर्ग अमेरिका स्थित सेतु पत्रिका में प्रकाशित होती रही हैं । उनकी पहली पुस्तक Snippets of Life Music (कहानी संग्रह) का प्रकाशन जनवरी 2019 में हुआ था तथा उन्होंने अपनी दूसरी पुस्तक The Rise of NaMo and New India को जनवरी 2021 में प्रकाशित करायी । 4 मार्च 2017 को क्राइटेरियन ने उन्हें एक प्रशस्ति पत्र भेंट करके उच्च स्तरीय कहानी लेखन के लिए पुरस्कृत किया था । वे आंग्ल भाषा में दक्षता प्रमाण पत्र से किसान महाविद्यालय बहराइच द्वारा 28 अगस्त 2017 को सम्मानित हुए । रमेश तिवारी की पहचान केवल उनकी अँग्रेज़ी कृतियों से ही नहीं है बल्कि उन्होने हिन्दी साहित्य में भी उल्लेखनीय कार्य किये हैं । वस्तुतः उन्होने अपनी साहित्यिक यात्रा सन 1988 में हिन्दी लेखन से प्रारम्भ किया था । मध्य प्रदेश स्थित उस समय के समाचार पत्रों व् पत्रिकाओं ने उनकी कई कविताओं व् निबंधों का मुद्रण किया था । रायपुर आकाशवाणी ने भी उनके गीतों का अपने युववाणी में प्रसारण किया । लोक साहित्य विषय पर उनकी वार्ता समय-समय पर आकाशवाणी लखनऊ से प्रसारित होती हैं । हाल के वर्षों में उनकी दोनों पुस्तकों ने लोकप्रियता अर्जित की है ।

'अनुश्री-कविताएं' हिन्दी में रचित मन को मुग्ध कर देने वाली पुस्तक है। यह इतनी सरल है कि इसे कोई भी पढ़ और समझ सकता हैं । इसमें प्रवेश करते ही आपको ऐसा प्रतीत होगा कि आप सुन्दर से कल्पना लोक में हैं जिसमें एक ओर दिव्य मंदिर हैं जहाँ प्रार्थना व् भजन हो रहे हैं घंटियां बज रही हैं, दूसरी ओर भारतीय संस्कृति की अदभुद झांकियां सजी हुई हैं, राजनीति के रहस्यमयी सुरंग हैं, देश के स्वर्णिम अतीत के चलचित्र, नन्हें बच्चों के घरौंदे, प्रेम की चित्ताकर्षक वादियां हैं, मनोरंजक एकांकी, दिल पिघला देने वाली कहानी सहित ह्रदय को झकझोर देने वाली महामारी का चित्रण भी शामिल हैं। साहित्य शिल्प की अमूल्य पुस्तक की कीमत मात्र 200 रुपए है ।

'Anushree' has 100 poems in the Hindi language. These poems are classified under the subtitles: Faith, Nature, Culture, Politics, Love, Nationalism, Songs for Children, Humanity, Great People of India and Corona with a one-act-play followed by a poignant short story. Some are odes; some are songs; some rhymes for the young children; and some free verse. Most of them have already appeared in Newspapers and magazines and a few of them were broadcast on AIR. This wonderful book of poetry has been published by the leading publishing house Diamond Books.

Relish 100 heart-warming, humorous, hilarious, dreamy, romantic, heroic and informative poems; also enjoy a few poems for young children, a funny one-act-play, a heart-breaking portrayal of Corona pandemic and a poignant short story - all in one book entitled Anushree. Priceless book of the arts at surprisingly moderate price of Rs 200.


Monday 2 January 2023

No more ‘Happy New Year!

 

Saturday, 31 December 2022

To welcome 2020 ‘Happy New Year!’ I exclaimed with delight.

The year attracted covid and against it pushed me into a fight.

I became happy again to see 2021, but it worsened my plight.

I greeted 2022 too but it proved to be the most agonising year.

2023 - no more ‘Happy New Year! No more ‘Happy New Year!




2020 आया नव वर्ष में हैपी को मैंने बुलाया,

कोरोना कूदा हैपी घबराया भागा चिल्लाया ।

2021 दिखा हैपी ठट्ठाया लौटकर वापस आया,

हैपी के पंख नुचे रोया, गिरा और फड़फड़ाया ।

2022 हैप्पी की ख्वाहिस फिर हंसा मुस्काया,

इस बार आफत का बादल उस पर घिर आया ।

2023 हेतु हतास हैपी उत्साहित नहीं है,

12 बजने का इंतज़ार अब उसको नहीं है !

श्रद्धांजलि



Friday, 30 December 2022

यशस्वी प्रधानमंत्री जी की विशाल-हृदया. पुण्य-स्वरूपा माताश्री के गोलोक प्रवास पर सम्पूर्ण देश के साथ मैं उनके श्री चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ । नारायण ऐसी दिव्य आत्मा को अपने लोक में आश्रय प्रदान करे !

A girl who never knew what was schooling

A girl who was brought up in a poor family

Grew up to be a woman of great sagacity,

Of moral scruples and a paragon of virtues.

She produced a Prime Minister, the great.

Today the vast-hearted woman, who lived

A life of duties for a century, passed away.

I pay my last respect to the rare example

Of a great mother from here.

May her divine soul rest in peace!

 

जिस मां ने स्कूल कभी देखा ही नहीं,

मेहनत को छोड़ और कुछ भोगा नहीं,

नैतिकता की सीमा कभी लांघा ही नहीं,

कर्म और कर्तब्य पथ कभी त्यागा नहीं,

उस मां ने तैयार किया एक ऐसा सपूत

जो बन गया विश्व का महान अग्रदूत ।

सौ वर्ष जीकर आज छोड़ा है संसार,

दुनिया में बह चली है श्रद्धा की धार !

                              - Ramesh Tiwari