Thursday 30 July 2020

भारत विजय गीत गायेगा



जनसँख्या बृद्धि से जनता जिस भी दिन चिन्तित होगी,

राष्ट्र चेतना स्वार्थ साधना पर जिस दिन विजयी होगी,

जिस दिन हम खैरात विरोधी वोट डालने जाएंगे,

जिस दिन हम अपने ही ऊपर निर्भरता ले आएंगे,

चिल्लायेगा चीन पाक का पाप उतर जायेगा,

झुक जाएगी दुनिया भारत विजय गीत गायेगा ।

Wednesday 29 July 2020

राम जी क्षत्रीय नहीं थे

परशुराम जी ब्रह्मण थे, राम जी क्षत्रीय थे, हनुमान जी बनवासी थे और कृष्ण जी यादव थे ऐसा कहने वाले, समझने वाले और अपने जाति वाले भगवान पर ही निष्ठा रखने वाले दम्भी अल्पग्य बतावें कि नारायण किस जाति के हैं, महादेव किस जाति के हैं, जगत जननी माइ किस जाति की है राजनीति कुछ भी करो किन्तु विभिन्न रूपों में हमारे प्रभु की मर्यादा सीमित मत करो राम जी क्षत्रीय नहीं थे वे एक क्षत्रीय के महल में प्रगट हुए थे, कृष्ण जी यादव नहीं थे वे एक यादव परिवार में प्रगट हुए थे, परशुराम जी एक ऋषि के घर में प्रगट हुए थे ये सभी ईश्वर के वे स्वरूप थे जिन्होने आतंकियों, अत्याचारियों को नष्ट किया था किसी जाति विशेष को नहीं कोई बता सकता है हनुमान जी जंगल में रहने वाले लोगों के एक घर में कैसे पैदा हुए थे ? इस पर जातिगत राजनीति अपने धर्म के साथ धोखा है फिर धर्मो रक्षति रक्षितः नहीं हो सकेगा मंगलवार, 28 जुलाई 2020

 

हमें लगता है कि हमारे देश जैसा सच्चा, नैतिक, नीतिवान, आदर्श, भोला भाला और कोई देश नहीं है, हम दुनिया के सबसे धर्मपरायण लोग हैं । अब जरा निष्पक्ष होकर सोचो हमारे यहाँ न्याय है, सदभावना है, परोपकार है या हमारे यहाँ कोई ऐसी चीज है जिस पर हम भरोसा कर सकते हैं । हमारे यहाँ यदि कोई चीज शुद्ध है तो वह पाखण्ड है । आज हमारे देश में हर व्यक्ति केवल अपने सहारे जी रहा है - कोई सहयोग करने वाला नहीं है । हाँ, हमारे पास एक सहारा है, एक भरोसा, एक आस विश्वास है, उसका नाम राम है । जहाँ राम है वहीँ जीवन है जहाँ राम नहीं वहां आत्महीन गति है । बोलो, राम राम राम राम !!! जय सिया राम जय जय हनुमान, संकट मोचन कृपा निधान ।। बोलो, रघुपति राघव राजा राम, पतीत पावन सीता राम ।। भज गोविंदा भज गोपाला, भज मुरली मनोहर नंदलाला ॥


Sunday 26 July 2020

The Principal



One day I visited the Principal of Mahila Mahavidyalaya, Bahraich. She was very busy in her office, so she asked me to take only a few minutes to tell her what was my concern. I gave her a copy of Snippets of Life Music. ‘Madam, you have been a professor of English,’ I said. ‘I’d like to take this opportunity of asking you to read this book. I’ll come back next week to know if it appealed to you and you think it is useful for your students.’ ‘Okay,’ she replied.

When I went to see her again next time, she greeted me very cordially and went all praises for me. ‘Your book is a good read, well worth reading,’ she said with a gentle smile. ‘It impressed me with its deep thoughts expressed in elegant simplicity. It is entertaining is one thing, but since it suggests lots of good ideas in well-structured sentences, it is useful for a variety of purposes.’ She paused for a moment and then pressed the bell. A boy came in. ‘Go and tell the librarian to come to me here,’ she said to him. You know, she instructed the librarian to purchase ten copies of the book for the college library.

Saturday 25 July 2020

माल वरना विकेगा नहीं





दुनिया कितनी अजबो-गजब हो गयी
हाल-चाल लेने में भी धंधा कर गयी ।

नया कुछ बना लिया यह काफ़ी नहीं,
लोगों में ज़रूरत की ज़रूरत है पहले,
माल कैसा भी हो वरना विकेगा नहीं ।

मौत के ख़ौफ़ से बाज़ार बन सकता है,
लाशों के ढेर से ही कफ़न बिक सकता है,
फैला दो जहर इस जहाँ में यहाँ वहाँ,
नहीं तो दौलत से खजाना भरेगा नहीं !


Sunday 19 July 2020

Mahakal


A true devotee of the Being Supreme

Forgets their own being to remember Him.

But then again, if you know who you are,   

To the ultimate truth the world is no bar.

He is the maker, the destroyer is He;

Both pleasure and pain is none but He.  

He is immortal and also corporeal;

Only He is perfect, complete and real.

He is movement and stillness is He;

He is the universe or all and all is He.

Mahadev is Mahakal, the great sense,

Matter massive and energy immense.

                                Jai ho Bhole Baba ki !!!


Friday 17 July 2020

दुनिया हमको ठग लेती है


आया नया वर्ष, दीवाली, होली आई,

अति उमंग में कली कली मुस्काई,

झूठे सपनों में भ्रमित हुई तरुणाई ।


कुछ अच्छा होगा अच्छे दिन आएँगे,

मन की बगिया में दीवाने गायेंगे,

खुशियों के भौरे गुनगुन शोर मचाएंगे

 

रवि किरणें कोहरे में उलझी,

खिले पुष्प की साँसें अटकीं,

आत्मदया में शिथिल हो गया,

धरती पर वह पुष्प सो गया

 

न कुछ देती है, न कुछ लेती है,

ये दुनिया हमको ठग लेती है

-                                                                 - Ramesh Tiwari


Tuesday 14 July 2020

सहमी ज़मीं जहाँ मायूस हो गया

चिंडियों की चहक गायब है,

बंदरों की उछल-कूद गायब है,

अब तो कुत्ते भी जी भर नहीं भौकते,

आदमी जिंदा है उसकी जिंदगी गायब है

 

त्योहार आते हैं चले जाते हैं,

लोग मरते हैं मर जाते हैं,

अब तो पता ही नहीं चलता कब क्या हुआ,

आँसू बनने से पहले ही सूख जाते हैं

 

जामाना बेरहम हो गया,

दिल सूख कर दिमाक बन गया,

कुछ घिनौनो ने ऐसा कुछ कर दिया,

सहमी ज़मीं जहाँ मायूस हो गया

                    - Ramesh Chandra Tiwari